Poetry
राहे खुदा या राहें मोहब्बत By Deepak Sisodia

राहे खुदा या राहें मोहब्बत
जाहिर इनमे फर्क ही क्या….
हुस्न वफ़ा और इश्क़ इबादत
जाहिर इनमे फर्क ही क्या….
दिल तेरा रूह खुदा की
मुझमे अपना क्या है बाकी
तू आगाज़ तो वो अज़ल है
नगमा तू वो मेरी ग़ज़ल है
बोली तेरी या उसकी इबारत
जाहिर इनमे फर्क ही क्या ………..
राहे खुदा या राहे मोहब्बत………
दिल तेरा जान खुदा की
मुझमे अपना क्या है बाकी
तू आइना तो वो शकल है
बारिश तू और वो बादल है
घर तेरा या उसकी जन्नत
जाहिर इनमे फर्क ही क्या ……….
राहे खुदा या राहे मोहब्बत …….
रुतबा तेरा शान खुदा की
मुझमे अपना क्या है बाकी
तू दिल तो वो धड़कन है
सजनी तू वो मेरा साजन है
मिलना तेरा या उसकी जियारत
जाहिर इनमे फर्क ही क्या…….
राहे खुदा या राहे मोहब्बत……
दीपक सिसोदिया